Total Pageviews

Wednesday, March 3, 2010

From Rahul - The unborn soul

मेरी कही हुई बाते यदि तुम्हारी केवल कथनी और चिंता के ही खुराक मात्र हो -करने या आचरण के भीतर से उनका यदि वास्तव में ही विकास न कर सको -तो -प्राप्ति जो तुम्हारी तमसाचन्न ही रह जाएगी -यह किन्तु अतिनिस्चय है
 -तुम्हारा ही ''मैं''(श्री श्री ठाकुर अनुकुलचंद्र)
Received in Orkut from Shri Rahul an ardent disciple of Shri Shri Thakur Anukulchandra